सूरज की फिक्र है कि अंँधेरा कहीं ना हो,
और रात अमावस को लिये घूम रही है!!
तेरी याद को तड़पाना क्या खूब आता है,आँखे भीग जाती है, सूरज डूब जाता है.
ढलता हुआ सूरज जिस भाँति लाल होता है,
इस तपती अग्नि का उसे भी मलाल होता है !!