तुम सूरज लेकर इतराते हो दिन के उजाले में,
किसी स्याह रात में आना अपने जुगनू की रोशनी दिखाऊंगी!
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी यहीं परछाइयां हमने!
ये डूबता सूरज भी जाते हुए किसी को खुशी दे जाता है,
खुद तो गुम होता है पर चाँद को रौशनी दे जाता है!
डूबते हुए सूरज की तरह थी वो,नादानी मेरी, उगता हुआ सूरज समझ लिया
ढलता हुआ सुरज बताता है,ऐसा समय जीवन में आता है.
पांच बजे ही अंधेरा हो जाता है यहां,
हो ना हो, चाँद का सूरज पे पलड़ा आज भी भारी है!