सितम ख़ुद पे कितना ज़्यादा कर रहे हैं, मेरे आंसू मुस्कुराने का वादा कर रहे हैं!
क़ुबूल हमने किए जिस के ग़म ख़ुशी की तरह
हाये इतना क्यों सितम ढा रहे हो..!!
हम बेचैन और आप मुस्कुरा रहे हो....!!!!
सितम जुदाई का सह नहीं पाता,वो मुझको दूर भेज कर, खुद भी रह नहीं पाता।
क्यों दिलों पर तुम यूँ सितम ढा रहे हो,
याद कर रहे हो और याद भी आ रहे हो!
उनको भूले हुए अपने ही सितम याद आये,
जब उन्हें गैरो ने तड़पाया तो हम याद आये!