महफ़िल भी सजी है सनम भी है,हम कंफ्यूज है इश्क करे या शायरी.
तुम्हारी कसम मेरे सनम अब हिम्मत नहीं हारेंगे,मर जायेंगे मगर तेरे सिवा किसी और को नहीं चाहेंगे.
ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है,उस मालिक ने ही मुझे भी मोहब्बत दी है.
सनम तेरे इश्क़ की चाहत दिल में लिए फिरते हैं,जब सामने आती हो तो कहने से क्यों डरते हैं.
काबिलें तारीफ़ है मेरी सनम की अदायें,ना…ना कहना और फिर शरमा कर बाहों में आना.