कुछ तुम रूठे, कुछ मैं रूठी,
बात हो गई रुसवाई की!
ना तुम समझे, न मैं मानी,
वजह बन गई तन्हाई की!!
मेरे सनम आज तबाही होगी,
तेरे इश्क की रुसवाई होगी,,
पेश करूँगा तेरी वफा को इमरोज़,,
आज अरसो में बेवफा की सुनवाई होगी।
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत केआग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई
लगता हैं इन हवाओं में रुसवाई मिल गयी हैं,तन्हाई मेरी किस्मत में लिख दी गयी हैं,पहले यकीन हुआ करता था,अब दिल को तस्सली देनी पड़ती हैं कि तुम मेरे हो।
ना कर दिल बेसब्र, ना रुसवा कर मुझे,जुर्म बता, सजा सुना और किस्सा खत्म कर.
ना कर दिल बेसब्र, ना रुसवा कर मुझे,
जुर्म बता, सजा सुना और किस्सा खत्म कर.