निगाहों से भी चोट लगती हैजनाब जब कोई देख कर अनदेखा कर देता है
हसरत भरी निगाहों को आराम तक नहींवो यूँ बदल गए के अब सलाम तक नहीं
बैठे है महफ़िल में इसी आस मेंवो निगाहें उठाएँ तो हम सलाम करें
जब भी देखें तुझे यह निगाहें
फिर तुझे ही देखते रहना चाहें
कुछ पल के लिए निगाहों से निगाहें मिला लो
हमारे दिल को थोड़ा सुकून पहुंचा दो
तेरी निगाहों में देख मदहोशी छाने लगती है
तेरी नज़रें मेरी नज़रों से नींदे चुराने लगती है