बैठे है महफ़िल में … इसी आस में वो,
निगाहें उठाएँ तो ….हम सलाम करें !!
वो काफ़िर-निगाहें ख़ुदा की पनाह,
जिधर फिर गईं फ़ैसला हो गया!
जब भी देखें तुझे यह निगाहें
फिर तुझे ही देखते रहना चाहें
कुछ पल के लिए निगाहों से निगाहें मिला लो
हमारे दिल को थोड़ा सुकून पहुंचा दो
तेरी निगाहों में देख मदहोशी छाने लगती है
तेरी नज़रें मेरी नज़रों से नींदे चुराने लगती है