शराब का नशा तो हल्का है उतर जाएगा
पर इश्क का नशा चढ़ा कर देखो
जो वक्त के साथ बढ़ता जाएगा.!!
तेरे इश्क का नशा मुझ पर कुछ इस कदर छाया है
तुझे देखने के लिए
ये चांद भी आज जमीन पर आया है..!!
पलकों पर रुका है समंदर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतज़ार का.
जिसको चढ़ जाय तेरे हसरत-ए-मोहब्बत का नशा, फिर जहाँ में क्या नशा ? कैसा नशा ? किसका नशा ?