एक सच्चे इंसान की दुआ वक्त के
साथ-साथ naseeb भी बदल देती है !
अक्सर मेरा नसीब
मुझे धोखा देता है
जो भी चाहा मैने
वो क्यूं किसी और को देता है
नसीब से हार गए वरना
मोहब्बत दोनों कि सच्ची थी
नसीब का खेल भी अजीब तरह से खेला हमने
जो ना था नसीब में उसी को टूट कर चाह बैठे..!
ए नसीब ज़रा एक बात तो बता ,
तू सबको आज़माता है
या मुझसे ही दुश्मनी है |
साथ मेरे बैठा था पर किसी और के करीब था,वो अपना सा लगने वाला किसी और का नसीब था.!