“आप दिल से यूँ पुकारा ना करो !
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो,
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी,
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो !
किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं !
दिल टूटे तो दर्द होता है, मगर कोई कहता नहीं !
अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया,
भर गया दिल हमसे और मजबूरी का बहाना बना दिया.
जितनी हिरनी की दूरी है ख़ुद अपनी कस्तूरी से,
उतनी ही दूरी देखी है इच्छा की मजबूरी से,
किसी की अच्छाई काइतना भी फायदा मत उठाओ,
कि वो बुरा बनने के लियेमजबूर बन जाये.
खामोशी समझदारी भी है और मजबूरी भी...
कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है और कहीं दूरी भी...!!