सारी रौनक देख ली दुनिया की,
मगर जो सकून तेरे पहलू में है माँ वो और कहीं नहीं है।
बुलंदियों के हर निशान को छुआ,
जब मां ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
मैं खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।
इस बात से अभी तक कई इंसान अनजान है,
मां सिर्फ मां नहीं एक वरदान है।
चीख़ती है चिल्लाती भी है,
रोती भी है बिलखती भी है,
जब मेरी माँ ग़ुस्सा हो जाती है,
तो अपनी आँखों में आँसू लिए चुप-चाप सो जाती है।