अपनी कलम से “दिल से दिल” तक की बात करते हो,
सीधे-सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार करते हो.
मोहब्बत इतनी कि उसके सिवा कोई और ना भाए
इंतज़ार इतना कि मिट जाए पर किसी और को ना चाहे !
जरूरत नहीं फिक्र हो तुम,
कहीं कह न पाऊं वो जिक्र हो तुम…!!
मेरे वजूद मे काश तू उतर जाए,
मैं देखु आईना और तू नजर आए !
दर्द क्या होता है बताएगे किसी रोज,
अपने दिल की गजल सुनाएंगे किसी रोज,
उड़ने दो परिंदों को खुली फिजाओं में,
हमारे होंगे तो लौटकर आएंगे किसी रोज…
आँखों में ख़्वाब,ओंठो की निशानी छोड़ जाती है,जब भी मिलती है पगली,अनजाने में कोई कहानी छोड़ जाती है l