कुछ कस्में हैं जो हम आज भी निभा रहे हैं,
तुम्हें चाहते थे और तुम्हें ही चाह रहे हैं!
हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
शिकवा करो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
कितनी शिद्दत से हम उन्हें याद करतें हैं,
एक वो हैं जिन्हें ये सबकुछ मजाक लगता है…
काश वो मुझे सीने से लगाकर,
मेरी सारी शिकायत दूर कर दे…
मैं सिर्फ उनका हो जाऊं
मुझे वो इतना मजबूर कर दे…..
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो…
काश पहले ही तेरे बिना रहना सीख लिया होता
तो आज जीने में इतनी तकलीफ न होती
हर पल बस फिक्र-सी होती है,
जब मोहब्बत किसी से बेपनाह होती है।