जुदाई तुझसे इश्क में सही नहीं जाती
जो दिल में बात है वो लबों से कही नही जाती..!
जो तू मिले तो जन्नत न गवारा हो मुझे
ना ख्वाहिश गैर की जो तेरा सहारा हो मुझे
तुझे नाम दिया है मैनें “पाख इश्क़” का
फिर कैसे कह दूँ इश्क़ दुबारा हो मुझे