बस यही अदा उनकी अच्छी लगती है,
उदास करके कहते हैं, नाराज तो नहीं हो ना तुम!
हजारों शिकायतें बेमतलब हो गयी,
जब उन्होंने कहा बहुत याद आ रहे हो तुम!
रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लग के वो,ऐसा लगा कि जैसे कभी बेवफा न थे वो।
पुराने ज़ख्मों से उभरा नहीं था दिल मेरा ,
की उन्होंने नए ज़ख्म देने की तैयारी भी करली ।।
जब उसने हँसकर सुनाया वफाओं के किस्से,वो बताना भूल गया दर्द कितना आया उसके हिस्से।
दुश्मन भी रो दिए मेरे दिल का हाल देखकर,अपनों को पता होते हुए भी वे है बेखबर।