तुम क्या जानो हाल हमारा,
एक तो शहर बंद ऊपर से ख़्याल तुम्हारा!
तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुजरी,
तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया!
हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकरहाथ दिल से जुदा नहीं होतातुम हमारे किसी तरह न हुएवार्ना दुनिया में क्या नहीं होता 300
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
तुम हमारे किसी तरह न हुए
वार्ना दुनिया में क्या नहीं होता
तन्हाई से लढ रहा हूँया उसकी आदत हो चुकी हैकुछ पता नही, मगर हाँहाल-ए-दिल ये है कीहम मोहब्बत के नाम सेआज भी टूट जाते है
जब हाल-इ-दिल तुमसे कहने कोमैं मिलने आती हूँपर देख तेरा दीवानापनमैं सोच में पड़ जाती हूँजब हाल-इ-दिल..