मेरे बस में नहीं अब हाल-ए-दिल बयां करना,
बस ये समझ लो, लफ्ज कम मोहब्बत ज्यादा है।
हमसे भी पूछ लो ✧ कभी हाल-ए-दिल हमारा ✧कभी हम भी कह सकें की ✧ दुआ है आपकी ✧’
हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकरहाथ दिल से जुदा नहीं होतातुम हमारे किसी तरह न हुएवार्ना दुनिया में क्या नहीं होता 300
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
तुम हमारे किसी तरह न हुए
वार्ना दुनिया में क्या नहीं होता
Kyaa sunaye kisko haal e dil jab
bhi likhte h jakhme dil taaza ho jate h
इक यही झिझक है हाल-ए-दिल सुनाने में, ज़िक्र तेरा भी आएगा मेरे इस फसाने में!
हाल-ए-दिल भी अब क्या बयान करनाअपना तो कोई यहाँ रहा ही नहीं