गरीबी
सबकुछ छीन सकती है,
मगर भगवान की दी गई
सुंदरता नहीं !!
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता।
घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है ,
हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है।
गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका ,
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका।
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है।
चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे ,
ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।
बड़ी बेशरम
होती है ये गरीबी,
कमबख्त उमर का भी
लिहाज नहीं करती !!