बड़ी बेशरम होती है ये गरीबी,
कमबख्त उमर का भी,
लिहाज नहीं करती !
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भीजिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो कोऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे
कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारीएक सिक्के के बदले जो बीस-कीमती दुआएं देता है
बहुत जल्दी सीख लेता हूँ जिंदगी का सबकगरीब बच्चा हूँ बात-बात पर जिद नहीं करता
छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदाक्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है