दीपक में अगर नूर ना होता, तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता
मैं आपको “ईद मुबारक” कहने जरूर आता
अगर आपका घर इतना दूर ना होता
ईद का दिन है और हम तुमसे दूर बेठे हैं
सितारों तुम क्यू खामोश हो हम तो मजबूर बेठे हैं
दिए जलते और जगमगाते रहें
हम आपको इसी तरह याद आते रहें
जब तक ज़िंदगी है ये दुआ है हमारी
आप ईद के चांद की तरह जगमगाते रहें