मुझको चैन मिलता है सिर्फ भोला के दरबार में,
सारी दुनिया भूल गया हूँ भोला के प्यार में।
जिनके मस्तक की सुंदरता स्वयं चंद्रमा बढ़ाते है,
दुष्टों और पापियों के विनाश के लिए त्रिशूल उठाते है,
जिनके गुणगान ब्रह्मा विष्णु तक गाते है,
ऐसे बाबा भोलेनाथ के चरणों में श्रद्धा के फूल चढ़ाते है।
रोम-रोम में बाबा भोलेनाथ का एहसास हो,
हमारे हृदय के मंदिर में भोला का वास हो।
ये नशा किसी शीशी का नही जो उतर जाये,
ये नशा नाथो के नाथ भोलेनाथ का हैं, जो चढ़ता ही जाय !
यह तेरा करम था की तूने मुझे अपना दीवाना बना दिया,
मैं खुद से था पराया तूने अपना बना लिया !