जब भी दिल खोल के रोए होंगे,
लोग आराम से सोए होंगे!
न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है,
किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है!
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है.
आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है,
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं इशारे मोहब्बत के.
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ,आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.
रूठ जाने की अदा हम को भी आती है फ़राज़
काश होता कोई हम को भी मनाने वाला.