सरहद नहीं हम जो सिर्फ
लकीरों में मिलेंगे,
हम तो खुशबू ए वफ़ा हैं
दिल के हर कोने में मिलेंगे।।
वो मुस्कुरा के मुकरने
की अदा जानता है
मैं भी आदत बदल
लेता तो सुकून में होता
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद!!
ये वर्ष आपके लिए खुशियों का नगर हो,
क्या बखूबी हो हर एक खुशी आपकी अगर हो.
हर रात फुर्सत के नए गीत सुनाए,
लम्हों के लबों पे भी शबनम का असर हो.