बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
Humne to khud se inteqam lia ,
Tumne kya soch kar humse mohabbat ki?
भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये।
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता
कोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….