सबकुछ जानकर भी वो पूछ रहे हैं
हमसे हमें क्या हुआ है अब उन्हें कैसे बताएं
हमें उनसे ही मोहब्बत हुआ है !
Chhed Aati Hain Kabhi Lab Ko Kabhi Rukhsaro Ko,
Tumne Zulfon Ko Bahut Sar Chada Rakha Hai.
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
अब तू नहीं है दुनिया में,
हु अकेला वही खड़ा,
तू मुमताज़ तो बन गयी
मै रह गया निचे पड़ा!
गुलाब को भी कमल बना देते,
उसकी एक अदा पे कई ग़ज़ल बना देते…
कम्भख्त मरती नहीं मुझ पर लडकियां,
वरना लखनऊ में भी ताजमहल बना देते…
Me Tumhe Kismat Ki Lakeeron Se Chura Leta…..
Faqat Ek Bar Tumne Mera Hone Ka Dawa To Kiya Hota…