मांग लुंगी तुझे अब तकदीर से,
क्योंकि अब मेरा मन नही भरता है तेरी तस्वीर से।
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
जो भी आता है एक नयी चोट दे के चला जाता है ए दोस्त,….
मै मज़बूत बहोत हु लेकिन कोई पत्थर तो नहीं,….
न सोचा मैंने आगे,
क्या होगा मेरा हशर,
तुझसे बिछड़ने का था,
मातम जैसा मंज़र!