बड़े खूबसूरत हैं तेरे एहसास के धागे,
बंधे रहते हैं मुझसे बिना बांधे!
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
तुम्हें गुमां है कि मैं जानता नहीं कुछ भी,मुझे ख़बर है कि रस्ता बदल रहे हो तुम।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा
एक पल का एहसास बनकरआते हो तुम दूसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम जानते हो की लगता है डर तन्हाइययों से फिर भी बारबार तन्हा छोड़ जाते हो तुम..