दिल पर आये इल्ज़ाम से पहचानते हैं,
अब लोग तो मुझे तेरे नाम से पहचानते हैं !
बहुत सुकून मिलता है जब उनसे हमारी बात होती है,वो हजारो रातों में वो एक रात होती है,जब निगाहें उठा कर देखते हैं वो मेरी तरफ,तब वो ही पल मेरे लीये पूरी कायनात होती है।
ये कैसा सरूर है तेरे इश्क का मेरे मेहरबाँ,
सँवर कर भी रहते हैं बिखरे बिखरे से हम!
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
मुझे तो न कोई आसमान चाहिये,मुझे तो न कोई जहाँ चाहिये,तू तो सितारों की एक महफ़िल है,बस उस पूरी महफ़िल में से बस एक तू चाहिए।