मुझे समझना है, तो बस अपना समझ लेना।
क्योंकि हम अपनों का साथ, खुद से भी ज्यादा निभाते हैं।
मेरे-तेरे इश्क़ की छाँव में… जल-जलकर!
काला ना पड़ जाऊ कहीं !
तू मुझे हुस्न की धुप का
एक टुकड़ा दे…!
मत पूछ कैसे गुज़र रहा है हर पल मेरा तेरे बिना,कभी बात करने की हसरत कभी मिलने की तमन्ना…
प्यार वो है जिसमें सच्चाई साथ हो
साथी की हर बात का एहसास हो
उसकी हर अदा पर नाज हो
दूर रहकर भी पास होने का अहसास हो
इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।