“कदर करना अगर में तुम्हारी फिक्र करता हूँ !
एक तुम ही हो !
जिसका में सबसे ज्यादा ज़िक्र करता हूँ ।
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।
मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को
जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से कितनी मोहब्बत है..!!
ठण्ड में वादा नही करते कि दोस्ती निभायेंगे,
जरूरत पड़ी तो सब कुछ ले लो,
पर रजाई न दे पायेंगे....
अब तू नहीं है दुनिया में,
हु अकेला वही खड़ा,
तू मुमताज़ तो बन गयी
मै रह गया निचे पड़ा!
गुलाब को भी कमल बना देते,
उसकी एक अदा पे कई ग़ज़ल बना देते…
कम्भख्त मरती नहीं मुझ पर लडकियां,
वरना लखनऊ में भी ताजमहल बना देते…