वो तेरा शरमा के मुझसे यूँ लिपट जाना
कसम से हर महीने में सावन सा अहसास देता है
Kuch Nasha To Aapki Baat Ka HaiKuch Nasha To Dheemi Barsaat Ka HaiHumein Aap Yun Hi Sharabi Na KahiyeIs Dil Par Asar To Aap Se Mulakat Ka Hai.
कितनी जल्दी यह मुलाकात गुज़र जाती है,प्यास बुझती भी नहीं बरसात गुज़र जाती है,अपनी यादों से कहो यु ना आया करेनींद आती भी नहीं रात गुजर जाती है..
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,जितना आप समेट पाए उतना आप हमें चाहते हैऔर जितना ना समेट पाए उतना हम आप को चाहते है...
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !