बिना किताबों की जो पढ़ाई सीखी जाती है,
उसे जिंदगी कहते हैं।
इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए
आपको खुशियों का संसार नज़र आएगा
धागा एक बार टूट जाये तो फिर से जोड़ने पर भी गाँठ पड़ ही जाती है
उसी तरह रिश्ते एक बार टूट जाये तो फिर से जोड़ने में एक गाँठ बन ही जाती है
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती
उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी ही जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।