उड़े पतंग आस्मां में सबकी निराली
पीली, लाल, हरी, नीली और काली,
आओ मिलकर हम सब बसंत मनाएं,
द्वार पे अपने रंगीली रंगोली सजाएँ
बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!
सूरज हर शाम को ढल ही जाता है ,
पतझड बसंत में बदल ही जाता हे ,
मेरे मन मुसीबत में हिम्मत मत हारना
समय कैसा भी गुजर ही जाता है…
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु।
आप सब को वसंत पंचमी की बधाई!
सहस शील हृदय में भर देजीवन त्याग से भर दे,संयम सत्य स्नेह का वर देमाँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे!