दीवानगी का सितम तो देखो
कि धोखा मिलने के बाद भी
चाहते है हम उनको .
हमारी तड़प तो कुछ
भी नही है हुजुर
सुना है कि उसके दिदार के
लिए तो आईना भी तरसता है
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं
Khuda salamat rakhna unko,Jo humse nafrat karte hai,Pyaar na sahi nafrat hi sahi,Kuch to h jo wo sirf hmse krte h...
वो नहीं आते पर निशानी भेज देते हैख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देते हैकितने मीठे है उनकी यादो के मंज़रकभी कभी आँखों में पानी भेज देते है