“बूंद बूंद बेकरारी हमारीकतरा कतरा मोहब्बत तुम्हारी”
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।
तड़प रहीं हैं मेरी साँसें तुझे महसूस करने को, खुशबू की तरह बिखर जाओ तो कुछ बात बने।
जिस जिसका मैं हुआ नहीं
उसकी जिंदगी सवर गयी
मैं राह देखता रहा जाने किसकी
और इन्ही राहों पे ये जिंदगी गुजर गयी
लबों से छू लूँ जिस्म तेरा, साँसों में साँस जगा जाऊँ, तू कहे अगर इक बार मुझे, मैं खुद ही तुझमें समा जाऊँ।