जिंदगी वो हिसाब है,जिसे पीछे जाकर सही नहीं किया जा सकता,इसलिए आज में ही सुधार करेंऔर पुरानी बातों को अनुभव की तरह इस्तेमाल करें
किसी गरीब की झोली में,
जब मैंने एक सिक्का डाला,
तब पता चला कि –
महंगाई के इस दौर में,
दुआएं, आज भी कितनी सस्ती हैं।
स्वयं को ऐसा बनाओ, जहाँ तुम हो, वहां तुम्हें सब प्यार करे,
जहाँ से तुम चले जाओ, वहां सब तुमें याद करें,
जहाँम पहुँचने वाले हो, वहां सब तुम्हारा इंतज़ार करें।
यकीन और दुआ नज़र नहीं आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं।
ज्ञानी इंसान कभी घमण्ड नहीं करता
और जिसे घमंड होता है ज्ञान उससे कोसों दूर रहता है