होता हूँ अकेला तो खुद के पास होता हूँ,कहाँ खो गया हूँ मैं भीड़ में ये सोचता हूँ l
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
यूं तो तेरी महफिल में हमे चाहने वालो की कमी नहीं,पर हम तुझे चाहने में कोई खता करें ये भी तो हमें गवारा नही।
न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम,
जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम।
खिड़की से झांकता हूँ मै, सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ, क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ, जाने क्या चीज खो गई है,
इन्सान हूँ, शायद मोहब्बत हमको भी हो गई।