याद बहुत आता है मुझे बचपन का ज़मानादादा जी का मुझ को वो रोते-रोते हँसानामालूम है चले गए हो बहुत दूर लेकिन दादा जीहक़ीक़त में ना सही सपनों में तो चले आना
याद बहुत आता है मुझे बचपन का ज़माना
दादा जी का मुझ को वो रोते-रोते हँसाना
मालूम है चले गए हो बहुत दूर लेकिन दादा जी
हक़ीक़त में ना सही सपनों में तो चले आना
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
मुझे नहीं पता कि मैं एक बेहतरीन दोस्त हूँ या नहीं,
लेकिन मुझे पूरा यकीन कि जिनके साथ मेरी दोस्ती है…
वे बहुत बेहतरीन हैं।
कामयाबी उन्ही लोगों के कदम चूमती है, जो अपनें फ़ैसलों से दुनियाँ बदल कर रख देते हैं और नाकामयाबी उन लोगों का मुकद्दर बन कर रह जाती है जो लोग दुनियाँ के डर से अपनें फैसले बदल दिया करते हैं|
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.