याद बहुत आता है मुझे बचपन का ज़मानादादा जी का मुझ को वो रोते-रोते हँसानामालूम है चले गए हो बहुत दूर लेकिन दादा जीहक़ीक़त में ना सही सपनों में तो चले आना
याद बहुत आता है मुझे बचपन का ज़माना
दादा जी का मुझ को वो रोते-रोते हँसाना
मालूम है चले गए हो बहुत दूर लेकिन दादा जी
हक़ीक़त में ना सही सपनों में तो चले आना
विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए,
क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता
जब कोई आप को अपना समय देता है,
तो याद रहे कि वह अपने जीवन की सबसे अमूल्य चीज आप को दे रहा है !
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता
कोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ताकोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….