आदत नहीं पीठ पीछे बुराई करने की
दो लफ्ज़ कम बोलता हूं पर सामने बोलता हूं ।
Palkon Ki Hadd Ko Tod Kar Daaman Pe Aa Giraa,
Ek Ashq Mere Sabar Ki Toheen Kar Gayaa.
काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आके गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर।
आपकी पलकों पर रह जाये कोई!
आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!
चलो वादा रहा भूल जाना हमें!
अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई
मैंने कुछ इस तरह से खुद को संभाला है,
तुझे भुलाने को दुनिया का भरम पाला है,
अब किसी से मुहब्बत मैं नहीं कर पाता,
इसी सांचे में एक बेवफा ने मुझे ढाला है..