गुस्सा भी समय समय पर करना ठीक होता है, पर कहाँ और कब करना है ये समझना मुश्किल होता है। 😊😮
गुस्सा भी समय समय पर करना ठीक होता है,
पर कहाँ और कब करना है ये समझना मुश्किल होता है। 😊😮
दिल की एक ही ख़्वाहिश हैं..
धड़कनों की एक ही इच्छा हैं..
के तुम मुझे अपनी बाहों में पनाह दे दो,
और में खो जाओ...
न मेरा एक होगा , न तेरा लाख होगा,
तारिफ तेरी ,न मेरा मजाक होगा,
गुरुर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा , तेरा भी खाक होगा
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम
समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…