परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं
मदद करना सीखिये
फायदे के बगैर
मिलना जुलना सीखिये
मतलब के बगैर
जिन्दगी जीना सीखिये
दिखावे के बगैर
और
मुस्कुराना सीखिये
सेल्फी के बगैर!
कामयाबी उन्ही लोगों के कदम चूमती है, जो अपनें फ़ैसलों से दुनियाँ बदल कर रख देते हैं और नाकामयाबी उन लोगों का मुकद्दर बन कर रह जाती है जो लोग दुनियाँ के डर से अपनें फैसले बदल दिया करते हैं|
किस लोभ से “किसान” आज भी, लेते नही विश्राम हैं,
घनघोर वर्षा में भी करते निरंतर काम हैं
शिक्षा के प्रति प्रत्येक किसान को जागरूक होना चाहिए तभी उनका जीवन बेहतर हो सकता हैं.