" 'तुम ठीक हो' मेरे पूछने पे,जवाब 'हाँ' में आना ही..आज किसी मोह्हबत वाली,बात से जादा सुकून देता है l"
ख़ुदा करे कि तुमको “जुदाई” न मिले,
कभी भी तुमको “तन्हाई” ना मिले,
मुझे “Message” ना करो तो कुछ ऐसा हो,
कि मौसम हो सर्दी का और तुमको “रजाई” ना मिले…
सब कुछ झूठ है
लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है…
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है
Jis ke naseeb mein hon zamaney ki thokarein…!!
Us bad-naseeb sey na sahar’on ki baat ker…
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”