यादें मरती नहीं मार डालती है
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.
सुनहरे सपनों की झंकार लाया है नववर्ष,
खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष,
आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष,
महकी हुई बहारों की खुशबू लाया है नववर्ष!
Happy New Year 2021