आता हूँ महाकाल तेरे दर पे, अपना शिर्ष झुकाने को,
100 जन्म भी कम हैं भोले, अहेसान तेरा चुकाने को।
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
तुम्हें पहली बारिश पसंद है और मुझे तुमतुम्हें हँसना पसंद है मुझे हँसते हुए तुम,तुम्हें हमसे बात करना पसंद है, मुझे बोलते हुए तुमतुम्हें सब कुछ पसंद हैं और मुझे बस तुम...
Ab Kon Se Mausam Se Koi Aas LagayeBarsaat Mein Bhi Yaad Na Jab Un Ko Hum Aye..
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं,
हमने क्या आसूं पिए की मौसम रो पड़े!