From its brilliancy everything is illuminated.
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती
त्याग दी सब ख्वाहिशें
कुछ अलग करने के लिए
“राम” ने खोया बहुत कुछ
“श्री राम” बनने के लिए
बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै,किसी से कुछ कहने की कोशिश मे।