चिंता जनसंख्या से ज्यादा मुझे
एक आदमी में छिपे सौ चेहरों की है
किसी मासूम को अपना निशाना बनाये
खौफ़नाक पहरो की है।
जिसने अपनी इच्छाओं पर काबू पा लिया,
उस मनुष्य ने जीवन के दुखों पर काबू पा लिया..!!
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता
कोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….
आपके हाथों से कोई छीन सकता है
लेकिन जो नसीब में है उसे कोई नहीं छीन सकता...
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.