हर ख्वाहिश हो मंजूर-ए-खुदा
मिले हर कदम पर रजा-ए-खुदा
फना हो लब्ज-ए-गम यही हैं दुआ
बरसती रहे सदा रहमत-ए-खुदा |
दुःख में इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में इंसान ईश्वर को भूल जाता है।
अगर सुख में भी इंसान ईश्वर के करीब रहे तो दुःख ही क्यों हो
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते
इसलिए उन्होंने माँ को बनाया
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
संकट के समय धैर्य धारण करना
मानो आधी लड़ाई जीत लेना है