दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
रब ना करे इश्क़ की कमी किसी को सताए ,प्यार करो उसी से जो तुम्हे दिल की बात बताये,प्यार करने से पेहले ये कसम जरूर लेना,की हे खुदा, आखरी साँस तक हम इस प्यार को निभाए.
शिकवा भी होगा हमसे शिकायत भी होगी,
पर दोस्त से गिला किया नहीं करते।
हम अच्छे नहीं बुरे ही सही,
तुम्हें वैलेंटाइन मुबारक हो,
लेकिन हम जैसा दोस्त मिला नहीं करते।।
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो,कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू,सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।