वजह की तलाश में। . वक़्त न गवाया करो
बेवजह बेपरवाह बेझिझक बस मुस्कराया करो।
गुड मॉर्निंग
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
एक दिन सागर ने नदी से पुछा- कब तक मिलती रहोगी मुझ खारे पानी से।
नदी ने हस कर कहा – जब तक तुझमे मिठास न आ जाये।
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।