हमसफ़र खूबसूरत नहीं
बल्कि सच्चा होना चाहिए
बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!
हम तो अकेले ही चले थे मंजिले सफर
लड़कियां मिलती रही शादियां होती गई।
..
कबीर बेदी
आहिस्ता आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..