उम्र ने तलाशी ली, तो जेबों से लम्हे बरामद हुए..कुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे..
बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
हाथ पर घड़ी कोईभी बँधी हो,
लेकिन वक़्त अपनाहोना चाहिए!!
हाथो की लकीरों पे मत जा ए ग़ालिब,नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते|